आज माँ री कथा लिखूँ या उण रा गुणगान लिखूं
हँसती-हँसती फोड़ा पाया किंया कर्या विषपान लिखूं
लिखूँ किंया अभिसासणी रै कालजै री पीड़ नै
ले सागै जायोड़ा कूदगी किणी कूंवै तालाब में
उण री पीड ने थे समझो तो थां ने धनवाद लिखूं
हँसती-हँसती फोड़ा पाया किंया कर्या विषपान लिखूं
भली करी रे तूं विधाता उण नै दीया तूं दो ही काँधा
एक गिरस्त रै भार नै ढौवे दूजै पर रोजी री चिंता
उण री अबखाई कम कर दै इसा—किसा फरमान लिखूं
हँसती-हँसती फोड़ा पाया किंया कर्या विषपान लिखूं
एक सुपन आँख्यां सूं बरसै अब घर रै आंगण पग पसरै
जायोड़ा री अडीक में तरसै आँख्यां सूं मेवला सा बरसै
किण पते पर चिट्ठी भेजूं वृद्धाश्रम रो ठांव लिखूं
हँसती-हँसती फोड़ा पाया किंया कर्या विषपान लिखूं।