थनै कुण कहवे री काळी।

म्हारा घर री थूं दीवाळी।।

हँस दे तो जाणे नील कमल निसरग्या,

गुमसुम होवे बाग मांहे फूल झरग्या।

गावे ले उमंग सुर शारदा रा भरग्या,

नाचे घर आँगणे तो देख देव तरग्या।

परभाते मूंडो देख्यो सारा काम सरग्या,

बेटी थारा जनम सूं जनम सुधरग्या।

म्हारा हिरदां री हरियाळी।

थनै कुण कहवे री काळी।।

माथे री है रोळी पोळ री थूं बंदनवार है,

कोयल है बाग री थूं सावण फुंवार है।

चॉंदणी है आँगणे री तुलसी री डार है,

मन की है माछळी थूं कूंळी कचनार है।

हिरणी सी मोहनी थूं चाले दूधां धार है,

शगती रो रूप दुरगा रो अवतार है।

पूजा री पावन थाळी।

थनै कुण कहवे री काळी।।

काळा तो किन हुया काळा सालीग्राम जी,

हुई काळी माता हुया काळा सिरी राम जी।

काळी घणी कस्तूरी मूंगा घणा दाम जी,

काळा भैरूं नै तो करे जगती प्रणाम जी।

हीरा अर कोयला अेक तत्त नाम जी,

काळा नेल्सन मण्डेला नै नोबल ईनाम जी।

हेमा ज्यूं घणी रुपाळी।

थनै कुण कहवे री काळी।।

गारगी सीता सावित्री मैत्रेयी गुण खान है,

पीटी ऊषा कल्पना बछेन्द्री सी उड़ान है।

इन्दिरा सरोजनी किरण रे समान है,

प्रतिभा सुनिता रजिया सी सुल्तान है।

मीरा महादेवी तीजन लता सी जबान है,

पन्ना पदमण राणी झाँसी सी महान है।

म्हारो मान बधाबा वाळी।

थनै कुण कहवे री काळी।।

बेट्यां नै जो नी चावे ऊज्जड़ समाज है,

मारे भ्रूण बेटियां रा नर नहीं बाज है।

डायजा तलाक सब खोटा ये रिवाज है,

करे मारपीट धीव सैं घिनौना काज है।

बेटियां तो जीवण री साँची सरताज है,

अेक बेटी दो कुळां री जग मांहे लाज है।

सत पथ री करे रुखाळी।

थनै कुण कहवे री काळी।।

स्रोत
  • पोथी : कवि रै हाथां चुनियोड़ी ,
  • सिरजक : कैलाश मंडेला
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