जै मरुधर जै राजस्थान, जै मरुधर जै राजस्थान।

सीस कटै पण झुकै नहीं, है गरबीली संतान।

जै मरुधर...

जोधाणां री ढाणी ढाणी गंगा जळ सो मीठो पाणी

जैपर नगर्‌यां री पटराणी, उदियापुर री अमर कहाणी

महाराणा परताप लङ्या, हळ्दी घाटी घमसाण।

तिरथ पुष्कर जी भारी, सोभा गलता जी री न्यारी।

सीधा-सादा है नर-नारी, पौरुषता री खान है भारी।

राणा खुरगा अगर राठौङी, जलमैं वीर शैतान।

मीरां जलमी और कठै, करमा जलमी और कठै।

दुर्गा जलमी और कठै, पन्ना जलमी और कठै

वीर धीर और भगती रस रा राख्या अमर निसाण

धोरा री धरती मीठा मोरा री धरती

रण बांकुरा री धरती, भोळा भगतां री धरती

मन्दिर मस्जिद गुरुद्वारां और देवळ आळी सान।

स्रोत
  • पोथी : मारुजी लाखीणौं ,
  • सिरजक : कालूराम प्रजापति 'कमल'
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