रग पग रंगा रेल मचाती
पगल्ये झांझरिये झणकाती।
गेले गिरद गुलाल उड़ाती
होली आई रे.........।
टोल टाबर्या मुलके माटी,
रतना अंग लगावे।
भर पिचकारी मारे बीनण,
रंग फुआरां न्हावे।
बखर्यो इन्द्रधनुष ओ आज,
घूंघटे तोड़ी गोर्या लाज।
होली आई रे.........।
नणदल खेले फाग,
सायन्या रंग बसन्ती घोले।
सासू बैठी देखे,
बउबड़ बेटी सूं यूं बोले।
के नणदल मतने मारो रंग,
भीजगी थर थर कांपे अंग।
होली आई रे.........।