दूहौ

थांन बिराई थित्त है, घृत्त जोत घमरोळ।
नित्त पाठ रौ गीत निज, आखूं चित्तइलोळ॥

गीत चित्तइलोळ

अवनी ऊजळी पिछमांण ओपै, थळी भांडू थाय।
कळी दरसै ज्यूं कमळ री, रळी आंगण राय।
(तौ) महमाय जी महमाय, मालण अवतरी महमाय॥1॥

मात मालू संढायच मुण, तवां दूलौ तात।
भ्रात भीमौ रोहड़ां भण, कुटुँब गुण क्रामात।
(तौ) अखियात जी अखियात, आलाहरी धिन अखियात॥

माँ उदर में बोल मालण, निज उचारण नांम।
घण अचंभौ हुवौ घर में, धरण परचौ धांम।
(तौ) वरियांम जी वरियांम, वसुधा वीदगां वरियांम॥

अगन ज्वाळा लग अचांणक, वडाळा भय व्याप।
पगलिया मँड कुंकम पाळा, आय बाळा आप।
(तौ) जसजाप जी जसजाप, जाहर जगत में जसजाप॥

खिलबतां थाया वरस खट, उपाया तरु अम्ब।
पिता आज्ञा पालटाया, निजर आया निम्ब।
(तौ) जगतंब जी जगतंब, जांणी दूलजा जगतम्ब॥

कवी टीकम दूल-कंवरी, परस चंवरी पांण।
उमा-भव री रीत अगली, उछब री अवसांण।
(तौ) घमसांण जी घमसांण, घेरी सुरहियां घमसांण॥

वरस एकादश विचाळै, जगत भाळै ज्याग।
पाल ज्यूं ही वचन पाळै, वर उलाळै वाग।
(तौ) वडभाग जी वडभाग, विरदां देवकुळ वडभाग॥

जीत जुध अणियां-भमर ज्यों, कस कमर अरि काप।
समर-सुत टीकम समर सज, अमर हुयग्यौ आप।
(तौ) धणियाप जी धणियाप, धेनां वाहरू धणियाप॥

सूंडहर आरांण में सुण, रांणसी रणखेत।
जांण दळथँभ गळै जमदढ, पांण ग्रह परणेत।
(तौ) नखतेत जी नखतेत, तोळै नृपत कज नखतेत॥

जोतवाया वाछड़ा जुग, आप आया आंण।
बिराई में भल बधाया, जोगमाया जांण।
(तौ) कवियांण जी कवियांण, कुळवट अंजसै कवियांण॥

नेह सैंजळ कूंप नांमी, गेह निज गुण गाय।
तोय सूं जळ देह त्यागी, अेह थांनक आय।
(तौ) दूलाय जी दूलाय, देवी वीसहथ दूलाय॥

चाव तोरण फिरै चिड़ियां, भल प्रवाड़ा भाव।
राव रंक न भेद राखै, दया रौ दरियाव।
(तौ) वरणाव जी वरणाव, वाचै वेदमुख वरणाव॥

वणै जद ही विखम वेळा, पुणै दुख पारत्थ।
सिंघवाहण सुणै साहळ, हणै दांणव हत्थ।
(तौ) समरत्थ जी समरत्थ, सेवग तारणी समरत्थ॥

पखै लोवड़ियाळ पातां, सब रखै सनमांन।
अखैवड़ ज्यूं सुजस अम्बा, दखै ‘सगतीदांन’।
(तौ) वरदांन जी वरदांन, दूलासधू रौ वरदांन॥


स्रोत
  • पोथी : गीत गुणमाळ ,
  • सिरजक : शक्तिदान कविया ,
  • प्रकाशक : थळवट प्रकाशन, जोधपुर
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