(खेल गीत)

आओ रे साथीड़ां हिल-मिल, खेलां गुल्ली डंडा।

देशी खेल यो सस्तो सुन्दर, तुरत-फुरत खेलो।

घड़लो गुल्ली डंडा छन म, सबने पाड़ो हेलो।

गुच्छ खोदलो दूरी खातिर, नापो रे पावण्डा॥

हीड़्या फाटां चित पुट करलां, किणरो ओसर आसी।

भाग सराहो जिणरी टोळी, पेलीपेल पदासी।

खेल शुरू होबा दो झटपट, मती करो अफण्डा॥

डंडा री ठोकर रे समचे, गुल्ली घणी उछळगी।

झेल सक्या नी हाथां फिसळी, धरती पड़ी मचळगी।

बांध निसाणो फैंकी गुल्ली, पण मनसूबा ठंडा॥

खेल खिलाड़ी सांचो भायो, घणो आकरो छोरो।

उछळी गुल्ली घणी जोर की, मार्‌यो जो सन्टोरो।

कांवड़ माथे गिणती जुड़गी, जै बोलो चावन्डा॥

चूक्यो चाल पदातां गुल्ली, करणी रो फळ भोग्यो।

मचक-मचक करतो मोल्या सो, छन आउट होग्यो।

खेल खिलाड़ी जीत्यां पाछे, खूब उड़ावे झंडा॥

स्रोत
  • पोथी : बाड़यां रा फूलड़ा ,
  • सिरजक : मोहन मंडेला ,
  • प्रकाशक : मण्डेल प्रकाशन शाहपुरा ,
  • संस्करण : प्रथम संस्करण
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