गांधी पर गोळी कण ताणी
कवि हिड़दै बात रात आणी
सन् उन्नासै अड़चास बीच
आ तीस जनवरी री काणी
कूघाट कागलां री बाणी
कर शोर मोर चारूं काणी
कूक्या कुरंग आधी कुत्ता
उच्चाट शरीर हुयो पाणी
नभ सूं तारा टूटण लाग्या
विधु में दीख्या विस घाणनियां
वैकुंठ पधारया अवतारी
दुःख-दरद जगत रा जाणनियां॥
सै पांख-पंखेरू रो दीना
धेना लोयण आंसू भीना
काळो धुंध उडै अकासां में
वन रूंख-राय अंदर जीना
विलखी सृष्टि है बाप बिनां
रोवै डस-डस टाबर हीना
हे अलख अजोग बखत बकस्यो
अणसमै अनाथ कयां कीना?
क्यूं देस अजाद करावणियै
सुरगां पाया परवाणनियां
वैकुंठ पधारया अवतारी
दुःख दरद जगत रा जाणनियां॥
श्रद्धा सूं बापू नै सारा
सै खुलक मुलक बण कर प्यारा
जुग-जुग चेतै करता रैसी
इण जुगो पुरख नै बेचारा
अैड़ा अहिंसा रा पुजारा
तपसी सत नीति धर्म धरा
अफ्रीका जाकर जम बैठया
चख भारतीयां झरया झारा
सौतेलो देख बुवार बठै
सत्याग्रह मांडया पाणनियां
वैकुंठ पधारया अवतारी
दुःख-दरद जगत रा जाणनियां॥
जब देस लौट पाछा आया
प्रथम जुद्ध री देखी माया
पण पास हुयो रौलट ऐक्ट
सत्याग्रह आंदोलन धाया
अत्याचारां री लख माया
पंजाब जंग जद छिड़वाया
यो तीन जुगी जुग गांधी रो
राष्टर पर राजनीति काया
नामून करयो तिरलोकी में
तप-तेज डोड़ी ताणनियां
वैकुंठ पधारया अवतारी
दुख-दरद जगत रा जाणनियां॥
गोरां लाटां जोरां लड़ग्या
ऊंचा अफसरियां सूं अड़ग्या
भिड़ग्या भारत माता वेगि
जेळां रा झट ताळा झड़ग्या
सत्रां रा टोळ सरां सड़ग्या
यार जो जका जंमी गड़ग्या
खोटा घड़ग्या जद जुलमीड़ा
आखिर मूंधा माथा पड़ग्या
आखां नै तगड़ निकाळ दिया
नीं राख्या पर धन खाणनियां
वैकुंठ पधारया अवतारी
दुःख-दरद जगत रा जाणनियां॥
दीनां नै टुकड़ो खाण नहीं
बापू रै अनसन आण रही
न तोप बंदूकां सूं जुटया
निज सकती अहिंसा आण रही
जोरावर रै जुद्ध ध्यान नहीं
लोकी सुण करती कान नहीं
स्वराज्य आपणो लेणो है
दूजां रो कोई दान नहीं
हथियार बिना खुद बमगोळा
रण बात सकळ पैचाणनियां
वैकुंठ पधारया अवतारी
दुःख-दरद जगत रा जाणनियां॥
लख साची शिक्षा जांवतड़ी
अंग्रेजी सिर चढ आंवतड़ी
या दास गुलामी गढ खाई
नूंई तालीम भरांवतड़ी
स्वावलंबी सीख दिरांवतड़ी
शाला सट सकल फुरांवतड़ी
धंधा उद्योगां रै कामां
टाबरियां गळ उतरांवड़ी
जांता करता करग्या साची
बैसार असारां छाणनियां
वैकुंठ पधारया अवतारी
दुःख-दर्द जगत रा जाणनियां॥
निरधन भागी रो भेद मिटा
बामण बांभी रै भेळ लिटा
भर सैंग मतां बिच शांत मता
नृप, पातस्या नेह साथ पटा
भल छूत-छात री काट जटा
सब नशा-पतां नै गया घटा
कर एक बरोबर नर नारी
सुभ राजकाज री दिखा छटा
साजोत हुया हद सत्यदेव
बर्ता-नवी बूंटो बाळनियां
वैकुंठ पधारया अवतारी
दुःख-दरद जगत रा जाणनियां॥
भड़वाळा हिवड़ा फूट-रिया
जिण वखत पिता परयाण किया
छेकिया कळेजा तीर जुगत
वसुधा निज रतन गुमाय दिया
झूरे नौखंड जूण जीया
प्रकास चसै सुरलोक दीया
अेकर तो पाछा भेजो नीं
म्हारै मेढ़ी नै जे लीया
सांवरिया सत प्रणाम पढा
हा रोज! मौज सम माणनियां
वैकुंठ पधारया अवतारी
दुःख-दरद जगत रा जाणनियां॥
भगवान सुणो म्हारी अरजी
रोंवतड़ां पर करज्यो मरजी
गरजी है मृत्य-लोक सारो
हिंदू, मुस्लिम, बामण, दरजी
कायर हिड़दा न हवै फरजी
सुख सीर बाप नै दयो मरजी
ईंमी सर, खीर विरख नीचै
ले कनै बैठज्यो थे हरजी
रमजोत, जोत में रळज्यासी
थांरै अंगां वर ठाणनियां
वैकुंठ पधारया अवतारी
दुःख-दरद जगत रा जाणनियां॥