अेक थैली रा अै चट्टा बट्टा

किं खारा किं खट्टा हैं।

ज्हैर मंगलिया ताता ताता

मुंडै माथै बस मिठा हैं।

आपां ने आं कद'अ सम्हाळ्या,

कद'अ देख्या और कद'अ भाळ्या,

भूखा सोया रात्यूं रोया,

हाथां सूं ही दुखड़ा पोया,

भूखा मरता गळियां सूंघैं ,

किं कुतड़ा अर किं लट्टा है,

एक थैली रा अै चट्टा बट्टा....

आपस में थे ना तो लड़ियो,

अेक दूजै सूं ना ही भिड़ियो,

चहीजै लो बो दाणो फाको,

सीर जेवड़ी बौरै रो राखो,

नाक री बातां नीं बणाणी,

मोटी नास्यां रा नकटा हैं,

अेक थैली रा अै चट्टा बट्टा....

याद आवां जद अै फसज्यां,

होठां फेफी आँख्या चसज्यां,

आपणै भी किं चेतो करल्यो,

स्वारथ रो पावंडो भरल्यो,

अेक दूजै सूं बैर घलाद्यैं

माणस नांव पर बट्टा हैं,

अेक थैली रा अै चट्टा बट्टा...।

स्रोत
  • पोथी : कवि रै हाथां चुणियोड़ी ,
  • सिरजक : कुलदीप पारीक 'दीप' ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
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