क'बिरखा आई रै
कंचन काया काजळ होगी, नाळ पसीनां चालै
बिरछ पात सै पीळा पड़ग्या, लूवां अगरी घालै
आंध्यां चालै उठै भतूळा, ताती बळती चालै
तिस्या मरतां पड्या बैसके, डांगर राम रुखाळै
क' प्राण बचाई रै॥
रिमझिम रिमझिम आंगणियें में, सावणियो सरमावै
पळका मारै खिवै बिजळी, इन्नरियों धर्रावै
छम-छम करती सावण गाती, तीज सुरंगी आवै
सात सहेल्यां सै स्यूं पैल्यां, गीत हिण्डोळा गावै
क'पून पुरवाई रै॥
मोर पपीया कोयल बोलै, बाग बगीचां खेंता में
दादुर राग मल्हारां गावै, न्हावै चिड़ियां रेता में
तिरिया मिरियां पोळ तळायां,जोड़ा भरग्या है सारा
आभै म्हांही पंख पंखेरू, डोलै बोलै है प्यारा
क'तपन बुझाई रै॥
हाळी हळ री हाल सुंवारै, मरवण जेळी जोवै
कसियो खुरपी और कुल्हाडी, चोसंगी नै टोवै
मोवै मनडो ठण्डी चालै, पुरवा पून सुहाणी
करसो खेतां सूण साध कर जावै संग धीराणी
क' लोग लुगाई रै॥