इळा न देणी आपणी, हालरियां हुलराय।
पूत सिकावै पालणै, मरण बडाई माय॥1॥
पायौ हेली पूत नूं, सोमल थण लिपटाय।
अचरज अतरै जीवियौ, क्यूं न मरै अब जाय॥2॥
बिण नूतै घण पाहुणा, हेली ठलिया आय।
जाणै पीव परूसणौ, भूखौ हेक न जाय॥3॥
धण नूं आळगसी धणी, सुणियां वागौ सार।
हालीजै उण देसड़ै, प्राणां रौ व्यापार॥4॥
निधड़क सूतौ केहरी, तो भी विमुहा पाव।
गज गैंडा धीर न धरै, वज्र पड़ै बघवाव॥5॥
पग पाछा, छाती धड़क, काळौ-पीळौ दीह।
नैण मिचै साम्हौ सुणै, कवण हकाळै सीह॥6॥
तुंडां गज, फेटां तुरी, डाढां भड़ औझाड़।
हेकण कोलै घूंदिया, फोजां पाथर पाड़॥7॥
बंबी अंदर पौढियौ, काळौ दबके काय।
पूंगी ऊपर पाधरौ, आवै भोग उठाय॥8॥
बिण माथै वाढै दळां, पोढै करज उतार।
तिण सूरां रो नाम ले, भड़ बांधै तरवार॥9॥
टोटै सरका भींतड़ा, घाते ऊपर घास।
वारीजै भड़ झूंपड़ा, अधपतियां आवास॥10॥