चांदड़ल्या थारै चांदणै में जागूं ढळती रात
जागूं ढळती रात, रोऊं कद होवै परभात
चांदड़ल्या थारै चांदणै में…
छैल भंवर थारी ओळ्यूं आवै उड़-उड़ निंदरा जावै
आंख्यां रो काजळियो ढोला घुळ-घुळ गालां आवै
कै तो आज्या ढोला निंतर कर ल्यूं ली अपघात
चांदड़ल्या थारै चांदणै में…
घड़ी अेक ऊतरूं रे पाछी डागळै जाऊं
दीयो बळै ज्यूं हीयो बळै रे किकर मैं समझाऊं
सूनी लागै सेजड़ली आ सूनी लागै रात
चांदड़ल्या थारै चांदणै में…
बिन साजन रे म्हानै लागै लाम्बी-लाम्बी रातां
किकर छिपाऊं किणनै सुणाऊं अै मनड़ै री बातां
आज्या निंतर लिखदे पतियां कद होवैला साथ
चांदड़ल्या थारै चांदणै में…
रात चांदणी फिकी लागै काठी ओळ्यूं आवै
झुर-झुर डुसक्यां भरती रोऊं जीव घणो तड़पावै
तीज तीवारां आयो रइजे डोडी जोऊं बाट
चांदड़ल्या थारै चांदणै में…।