ऊं गैला पर चाल मेरी नणदी, सत्याग्रही जहं जावै ये।
अन्यायां की पोल खोलकर, सांची बात सुणावै ये॥
धन-धन नणदी उण की जननी इसा पूत जो जामै ये।
उण जुल्म्यां का लाठी-जूता, हंस-हंस कर वै खावै ये॥
ऊं गैला पर चाल मेरी नणदी, सत्याग्रही जहं जावै ये!
सत्य अहिंसा गांधीजी को, वै हथियार उठावै ये।
बंदूकां की गोळ्यां आगै, छाती जाय अड़ावै ये॥
ऊं गैला पर चाल मेरी नणदी, सत्याग्रही जहं जावै ये!
निरभय होकर आजादी का, मस्त राग नै गावै ये।
परहित कारण कस्ट झेल कर, जेळां मांही जावै ये॥
ऊं गैला पर चाल मेरी नणदी, सत्याग्रही जहं जावै ये!
परजा मंडल और पंचायत का वै 'वीर' कहावै ये।
खुस हो-होकर, जय-जय बोल'र, उणपै फूल बरसावै ये॥
ऊं गैला पर चाल मेरी नणदी, सत्याग्रही जहं जावै ये!
उठ खड़ी हो आपां भी चालां, उण कै तिलक लगावां ये।
'शर्मा' जीत कर जद आवैगा, आव बधाई गावां ये॥
ऊं गैला पर चाल मेरी नणदी, सत्याग्रही जहं जावै ये!
स्रोत
  • पोथी : स्वतंत्रता संग्राम गीतांजली / स्वतंत्रता आंदोलन की राजस्थान प्रेरक रचनाएं ,
  • सिरजक : ताड़केश्वर शर्मा ,
  • संपादक : मनोहर प्रभाकर / नारायणसिंह भाटी ,
  • प्रकाशक : राजस्थान स्वर्ण जयंती समारोह समिति, जयपुर
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