पौ फाटी जद बोलण लाग्या

पांख-पंखेरू पीपळ डाळ

छोटी द्योरांणी पीसण बैठी

बाजर-मौठ चिणां री दाळ

बडी जिठांणी जा्यौ गीगलौ

बाजण लाग्यौ सोवन थाळ

नणद सुरंगी सात्या देवै

घर घर बांधे बांनरवाळ

पौ फाटी जद बोलण लाग्या

पांख-पंखेरू पीपळ डाळ

दिन चढ आयौ गोवै ऊभ्यौ

गायां रौ म्हारौ कांन्ह-गुवाळ

आंटौ-टूंटौ हाथ गेडियौ

सिर पर बांध्यां लाल रूमाल

कांधै लटकै लाल लोटड़ी

संकड़ी है माटी री नाळ

घर री धिरांणी गाय उछेरै

मधरी-मधरी चालै चाल

पौ फाटी जद बोलण लाग्या

पांख-पंखेरू पींपळ डाळ

छींकी देय' हांकण लाग्यौ

गायां नै गुवाळ्यौ रे लाल

फळसै बा'रै टाबर खेलै

खेत बणावै बांधै पाळ

गोबर चुगै सहेल्यां रळमिळ

थाप थेपड़ी करै कमाल

मरद लुगाई यूं बतळावै

आयौ समौ भाजग्यौ काळ

पौ फाटी जद बोलण लाग्या

पाख-पंखेरू पींपळ डाळ

आंगण में दो चुगै चिड़कल्यां

बिखरेड़ी चाकी री दाळ

छोटी नणद भूंगरौ काढै

लुळ-लुळ साफ करै है ठांण

दादी ताअी चरखौ कातै

बैठी है वै पीढौ ढाळ

राख राखड़ी घोळ संवारै

चतर चरखलै री वै माळ

पौ फाटी जद बोलण लाग्या

पांख-पंखेरू पीपळ डाळ

हाळी हळ रा हाट संवारै

गावै है तेजै री ढाळ

मिनख मजूरी करण लागग्या

लेकर कसियां और कुदाळ

डूंचै बैठ्या भोळा भाई

करै खेत री नित रखवाळ

मैणत रा त्यूंहार मनावै

नाचै गावै दे दे ताळ

पौ फाटी जद बोलण लाग्या

पांख-पंखेरू पीपळ डाळ

छोटी द्योरांणी पीसण बैठी

बाजर-मौठ चिणां री दाळ

बड़ी जिठांणी जायौ गीगलौ

बाजण लाग्यौ सोवन थाळ

नणद सुरंगी सात्या देवै

घर-घर बांधै बांनरवाळ

पौ फाटी जद बोलण लाग्या

पांख-पंखेरू पीपळ डाळ

स्रोत
  • पोथी : अंवेर ,
  • सिरजक : गजानंद वर्मा ,
  • संपादक : पारस अरोड़ा ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी भाषा सहित्य एवं संस्कृति अकादमी
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