दुनियां मन मरजी सूं चालै, तूं है क्यां’टै छीजै

मा जायो जद फोड़ा घालै, बळत भाव में सीजै

भाया, गूढ़ ग्यान मत दीजै।

भाई ह्वै भाटां ज्यूं भारी, काड्यां बैर पतीजै

थारी है कांई लाचारी, उडतो तीर लीजै

भाया, गूढ़ ग्यान मत दीजै।

न्याव बिकै है चोड़ै धाड़ै, भोळा मिनख लुटीजै

मां-बेटी तो मूंडो फाड़ै, बेटा-बहू कुटीजै

भाया, गूढ़ ग्यान मत दीजै।

मालिक मार मांयली मारै, अै मन मांही खीजै

नहीं भरोसो छींया माळै, नीं कोई नैं धीजै

भाया, गूढ़ ग्यान मत दीजै।

बाट राख मतलब का सारा, गरळ घूंट ही पीजै

झूठा बांध जसां रा भारा हां जी हां जी कीजै

भाया, गूढ़ ग्यान मत दीजै।

सगळो सांग दिखावै थोथो, तूं क्यां माळै रीझै

क्यां’टै बाजै मूसळ मोथो, अड़क बीज क्यूं बीजै

भाया, गूढ़ ग्यान मत दीजै।

स्रोत
  • पोथी : कवि रै हाथां चुणियोड़ी ,
  • सिरजक : मानसिंह शेखावत ‘मऊ’
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