बेट्यां कौ तौ कांई कहणौ यह तौ ओर छोर छै
बागां की चड़कली या छप्परिया कौ मोर छै
आंख्यां की फूतळी तौ काळज्या की कोर छै
आमां कौ यौ रूंख कोई जामुन की डाळ छै
सैळी-सैळी लहरां उठै समदर की पाळ छै
थाळ भरयौ मोत्यां कौ तौ मोत्यां ऊपर लाल छै
राम जी का घर की या बंधी-गांठी डोर छै
बागां की चड़कली या छप्परिया कौ मोर छै
बेटौ घर-बार छै तौ बेटी म्हारै माळ छै
बेटौ म्हारै बारणौ तौ बेटी बांदरवाळ छै
बेटौ कुळदीप बेटी आत्या कौ थाळ छै
जटा में बिराजै या तौ गंगा-सी धार छै
चांद जस्सी चमकै या शिवजी कौ भाळ छै
बेटौ म्हारै सूरज तौ बेटी म्हारै भोर छै
बागां की चड़कली या छप्परिया कौ मोर छै
नदी में या नाव छै रे काळज्या में छांव छै
चंदा की चांदणी रे बादळां में बिजळी
आठ भायां बीच कोई बण छै रे बिचली
बलौणी में लूण्यौ छै रे लाड ईं कौ दूणौ छै
काळज्या में अस्सी सालै रोग जाण्यै दूणौ छै
बहू म्हारी लिछमी तौ बेटी गणगौर छै
बागां की चड़कली या छप्परिया कौ मोर छै
बहू म्हारै ओवरौ तो बेटी अगडाळयौ है
आलौ-सूखौ करतां तौ न्हटां म्हनै पाळयौ है
बाबल कमावै अर वीरौ भी कमावै रे
खैवा में तो चोखौ लागै यौ तो म्हारौ फीर छै
घर-बार यां का म्हाकौ कापड़ा में सीर छै
जीवता तौ जीव घणौ म्हारै मन भावै रे
मर्यां पाछै बेट्यां ही तौ कांकड़ जगावै रे
धन छै परायौ ईं आपणौ न जोर छै
बागां की चड़कली या छप्परिया कौ मोर छै