रूपाळो छणगारो नखराळो म्हारो गाँव रे।
यो हाड़ौती को प्यारो मनभाणो म्हारो गाँव रे॥
जाजम सूँ उतरे चंदा मन भावण सी मुसकान रे।
बागां को ले पनवाळो आयो सतरंग्यो खान रे। रूपाळो...
गरियाळे मोती लुड़के, बीजल्याँ रा खेवण हार रे।
खेताँ का दरखत हरखे, जस्याँ मोत्याँ की माळ रे॥ रूपाळो...
आमूल्याँ की छाया कोयल मरवण का गान रे।
पारवती को पाणी, वीरां को बल परमाण रे॥ रूपाळो...
ई गांव जस्या हीरा पे बागां की अमिट बहार छै।
ई छोटा सा टुकड़ा पे बीजळी की घुघरमाळ छै॥ रूपाळो...
ई जामण का जाया को, अणतोल्यौ रूप धड़न्त छै।
स्याम पड्यां को सावण तड़का को रूप बसंत छै॥ रूपाळो...