राजस्थान रै आंगणै, दो बातां कळदार भई रे।
अलगोजा खेतां बजै, रणखेतां तलवार भई रे।
या तो जूझै जुद्ध मं, या रसिया राग बहार भई रे।
छेख बगत रो बायरो, ऐ मरदां लेवे वार भई रे।
करतब घणां महान, म्हारो ऐड़ो राजस्थान भई रे।'
जद-जद आपणी जलमभोम पर आफत
आई उण बगत राजस्थानी वीरां री छात्यां रण
खेतर में जाबा खातर धड़क उठै ही। वणीज
भांत री आ बानगी
''जदे कदे रणभेरी बाज्यी, डिमरू बाज्यो डम।
पूत सपूता रजथानी रा, हर-हर बोल्या बम,
रे मरदां हर-हर बोल्या बम॥
हुंकार भरी मरदां सी सूरां, बादळिया ज्यूं कड़क्या।
बीजळ जैड़ा टूट पड्या यूं, बैर्यां माथा बड़क्या।
दुस्मण रा काळजिया दहल्या, स्याळ्यां ज्यूं वै भड़्क्या।
अठी धड़ूक्या नार वठीनै, सौ-सौ हिवड़ा धड़क्या।
बंट्यो जंग में रंग सदा ही, नृसिंघ फाड्यो खंभ।
जीत अगाड़ी ढोलक बाज्यी, ढोलां रे ढम-ढम।
रे मरदां हर-हर बोल्या बम॥