कुण नै कहसी थारा मन री बातां म्हारी मा,

चांद ढळयो अंधियारी व्हैगी रातां म्हारी मा।

बाळपणा री बीती बातां,

नैणा रा चितराम बणी

साथ रमी बै साथणियां अब,

हिवड़ै रा बिसराम बणी

पल पल थारो ध्यान राखती माता थारी मा ।1।

लाड कोड सूं पळी लाडली,

धूम धाम सूं ब्याव कियो

प्राणा सूं प्यारा प्रीतम पर,

तनड़ो मनड़ो वार दियो

मायड़ सूं भी प्यारी सासू माता थारी मा।2।

बेल बढ़ी गीगो जलम्यायो,

घर मैं मंगलाचार हुयो

मा जायो पीळो ल्यायो जद,

हिवड़ै हरख अपार हुयो

टाबरिया नै सगळा लाड लडाता म्हारी मा।3।

काळजिया री कोर जाणली,

गीगा नै पाळण लागी

सारा घर का सुखभर सोया,

पण भी तूं रात्यूं जागी

अब कुण मानै कष्ट सह्यो बै बातां थारी मा।4।

हर्यो बगीचो ऊजड़ व्हैग्यो,

बैरी झोलो बैय गयो

जीवण री मझधारां छोडी ,

परण्यो तो परलोक गयो

अब तो दुख मैं बदली सुख की रातां थारी मा।5।

संकट ठाडो आय पड़्यो पण,

तूं हिम्मत कोनी हारी

मेहनत मजदूरी कर पूरी,

कर दीनी जिम्मेदारी

टाबर अफसर बणगा सूधी साता थारी मा।6।

उजड़ी बगिया महकण लागी,

आज खुशी परिवार हुयो

सुख रो सूरज ऊग्यायो जद ,

अळगो घोर अंधार हुयो

पण बीनणियां गहण लागगी आतां म्हारी मा।7।

बहुवां आडी टेडी बोलै,

जायां मुख जुड़िया ताळा

जामण नै घर सूं काढ़ण का जबर हुवै जंगी चाळा

मन मौर्यो कुरळायो घर सूं जातां म्हारी मा।8।

मायड़ री सेवा कर बीरा, मायड़ सूं मीठा बोलो

मां रो करज चुकाणों दोरो,

हिवड़ै री आंख्या खोलो

आशीसां मायड़ री भाग्य विधाता थारी मा।9।

स्रोत
  • पोथी : कवि रै हाथां चुनियोड़ी ,
  • सिरजक : कैलाशदान कविया