मालवां देवत गाड़ीये आवे रें, फुलुं रमतु रमझमे पाई।
आणी गाडिये में कई कई भरियुं रे, फुलुं रमझमे पाई।
आणी गाडिये लगनियां भरियांरे, फुलुं रमझमे पाई।
झायां लगनियां कीमे साइजे रे, फुलुं रमझमे पाई।
झायां लगनियां पानी नी साइजे रे, फुलुं रमजमे पाई।
मालवां देवत गाडिये आवे रे, फुलुं रमतु रमझमे पाई।
आणी गाडियां मां अणदी भरी रे, फुलुं रमतुं रमझमे पाई।
गीत का प्रसंग :- यह गीत भी यात्रा करते समय गाया जाता है। इस गीत से यह स्पष्ट होता है कि भीलों का क्षेत्र यह वागड़ प्रदेश दोहद एवं मालवा तक माना जाता था।
गीत का भाव पक्ष:- इस गीत में युवतियां गाती है कि मालवा और दोहद से गाड़ी आती है। उस गाड़ी में फूल घूमता हुआ आता है। इस गाडी में विवाह का निमंत्रण किसके लिए आया है। दूसरी यूवतियां कहती हैं कि यह निमंत्रण तो ‘पानी’ दुल्हन के लिए ही आया है। इस गाड़ी में दुल्हन के लिए अणदी-हल्दी भी भरी हुयी है।