हां ए म्हारी हेली ए
म्है तो पुरबिया पूरब देस रा
बोली लखे नीं रे कोई
बोली हमारी सो ही लखे
भाग पुरबिया होये
कैह सां करां म्हैं स्नेह
हमारे भरम रो साधू कोई नीं
हां ए म्हारी हेली ए
का तो तिलड़ा कोरा भला ए
का लीजै तेल कढाय
ए हेली ए अधकचरी घाबर
दोनां धोबां सा ए जाय
हमारे भरम रो साधू कोई नीं
हां ए म्हारी हेली ए
कड़वा पानां री कड़वी बेलड़ी
फळ जेरा कड़वा होय
सत शब्द चीन्हा
बेली रे बिछोड़ा होय
हमारे भरम रो साधू कोई नीं
हां ए म्हारी हेली ए
भयो रे बीज रो नास
कह्यौ कबीर धर्मीदास सौं
हमारे भरम रो साधू कोई नीं
बोली लखे नीं रे कोई