भोर भई गौअन के संग
मधुवन मौन मिटाया रे
चार पौर में धेन चराई
सांझ पड़ी घर आया रे
म्हैं नीं माखण खाया जसोदा
म्हैं कदै माखण खाया
म्हैं छोटा मेरा पांव छोटा
किसविध माखण खाया रे
सब सखी मेरे लारै लागी
कूड़ा इज कळंक लगाया रे
म्हैं नीं माखण खाया जसोदा
म्हैं कदै माखण खाया
अै ले तेरा लोट कंबळिया
आछा नाच नचाया रे
इतना कहत उमंग कर सखियां
कौन पराया जाया रे
म्हैं नीं माखण खाया जसोदा
म्हैं कदै माखण खाया
कूड़ा इज कळंक लगाया रे
सूर कहे परभु तमारे भजन में
जसोदा कंठ लगाया रे
इतना कहत उमंग कर सखियां
नैवणै नीर भराया रे
म्हैं नीं माखण खाया जसोदा
म्हैं कदै माखण खाया
कूड़ा इज कळंक लगाया रे