काग पड़ै कुतड़ा भूंसै

जुलमी राजा ओड ऊंचाळौ घाल्यां जाय।

इसड़ी जे जांणतौ जसमल ओडणी अे

केसर वरणी डेरा थांरा देवतौ लुटाय।

तूं म्हारा धोरिया सोभागियौ रे

धोळा धोरा थां पर लौटी जसां दिन चार।

तूं म्हारी सिलड़ी सोभागणी अे

पक्की सिलड़ी थां पर धोया जसमां पांव।

सौ घोड़ा सौ हाथियां

ठरक्योड़ौ राजा फौज वणाय'र चढ़ियौ वार।

कांकड़ जावतां नरपत नावड़्या

बगनैं राजा जसमां रा पकड़्या दोनूं हाथ।

म्हूं छूं राजाजी थारी धीवड़ी

बाबल राजा थे म्हारा जळहर जामी बाप।

मरण मारण नै मच गई

कोपी नारी हाथां में झांप दुधार।

जलमी ही रंग महल में

बाबल राजा दीनी मनै समंदरियै तिराय।

तूं म्हारी धरती देई बराड़ौ अे

धीवड़ली नै बोल्यौ भारी पाप।

सैं घोड़ै गड़णौ चाऊं अे

भोमी माता किसड़ै मुख जाऊं राव खंगार।

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