इस धरती पर दो फूल खिल्या

अेक मां दूजो बाप अे सखी, आज बधावो सुभ घड़ी गो

सखी माता नै जलम सुधार्‌यो

कोई बाबल नै देई परणाय सखी, आज बधावो सुभ घड़ी गो

इस धरती पर दो फूल खिल्या

अेक सास दूजो सुसरो अे सखी, आज बधावो सुभ घड़ी गो

सखी सुसरै नै ढोलीयो ढळायस्यां

कोई सासड़ नै सूंपा घर-बार अे सखी, आज बधावो सुभ घड़ी गो

इस धरती पर दो फूल खिल्या

अेक बीर दूजो सायबो अे सखी, आज बधावो सुभ घड़ी गो

सखी बीरो भात’ज भरीयो

कोई सायबै गो सरब सुहाग अे सखी, आज बधावो सुभ घड़ी गो

इस धरती पर दो फूल खिल्या

अेक धीव दूजो पूत अे सखी, आज बधावो सुभ घड़ी गो

सखी धीवड़ नै सासरै भेजस्यां

कोई पूत’ज वंस बधावै अे सखी, आज बधावो सुभ घड़ी गो।

(संदर्भ घर में कोई टाबर जल्मै उण बखत गावण रो बधावो गीत)

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