म्हारै मुरधर रौ सांचो,
सुख दुख रौ साथी खेजङलो
तिसां मरै पण छियां करै है,
करङी छाती खेजङलो
आसोजां रा तप्या तावङा,
काचा लोह पिळघळ गिया
पान फूल री बात करां कै
बै तो कद ही जळ बळग्या
सूरज बोल्यो छियां न छोडूं,
पण जबरौ है खेजङौ
सरणै आय’र छियां पङी है,
आप बळै है खेजङौ
सगळा आवै कह कर जावै
मरू रो खारो पाणी है
पाणी क्यां रौ अै तो आसूं
खेजङलै ही जाणी है
आसूं पीकर जीणो सीख्यौ
अेक जगत में खेजङलौ
सै मिट ज्यासी अमर रेवैलो
अेक बगत में खेजङलौ।
गांव आंतरै नारा थकग्या,
और सतावै भूख घणी,
गाङी आळो खाथा हांकै
नारां थां रौ मरै धणी
सिंझ्या पङगी तारा निकळिया
पण है सांथरौ खेजङलौ
आज्या दे खोखां रो झालौ
बोल्यौ प्यारौ खेजङलौ
जेठ मास में धरती धोळी,
फूस पानङौ मिलै नहीं
भूखा मरता ऊंठ फिरै है
अै तकलीफां झिलै नहीं
इण मौकै भी उण ऊंठां नै
डील चरावै खेजङलौ
अंग-अंग में पीङ भरी पण
पेट भरावै खेजङलौ
म्हारै मरूधर रो है सांचो
सुख दुख साथी खेजङलौ
तिसां मरै पण छियां करै है
करङी छाती खेजङलौ।
खेजङा
मेरे मरूधर का है साथी
सुख दुख का साथी खेजङा
प्यास मरता, पर करता छाया
कठोर सीना ताने
आसाढ़ की धूप में
कच्चा लोहा भी पीघल जाता
पत्ते और फूल की क्या बात करें
वे कभी के जलकर भस्म हो गए
सूरज बोला छाया नहीं छोङूंगा
पर अच्छा है खेजङा
शरण में आकर पङी है छाया
खुद जल रहा है खेजङा
सभी आने वाले कहते हैं
मरूधरा का पानी खारा है
पानी काहे का यह तो आंसू
खेजङा ही जानता है
आंसू पीकर जीना सीखा
एक जगत में खेजङा
सब मिट जाएंगे अमर रहेगा
एक समय में खेजङा
गांव से दूर बैल थकै
गाङीवान जल्दी चल
बैलों मर रहा तुम्हारा स्वामी
शाम हुई तारे निकले
आंखो को इशारा कर रहे खोखा
बोला प्यारा खेजङा
ज्येष्ठ में धरा सफेद है
घास-पत्ते भी मिलते नहीं
ये कष्ट सहे नहीं जाते
इस मौके पर भी उन ऊंटों को
भरपेट खिलाता खेजङा
अंग-अंग में दर्द भरा पर
पेट भराता खेजङा
मेरे मरूधर का सच्चा है
सुख-दुख का साथी
कठोर सीना ताने।