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साइट: परिचय
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वो बखतो वा ही बखत
दलपत बारहठ
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वो
बखतो!
वा
ही
बखत,
वा
री
वा
तरवार।
बाप
कटै
जिण
बाहुवां,
भैंसै
रो
की
भार?
स्रोत
पोथी
: मध्यकालीन चारण काव्य
,
सिरजक
: दलपत बारहठ
,
संपादक
: जगमोहन सिंह परिहार
,
प्रकाशक
: मयंक प्रकाशन, जोधपुर
,
संस्करण
: प्रथम
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