जूनौ कोस
नूवौ कोस
लोक परंपरा
ई-पुस्तक
महोत्सव
Quick Links
जूनौ कोस
नूवौ कोस
लोक परंपरा
ई-पुस्तक
महोत्सव
साइट: परिचय
संस्थापक: परिचय
अंजस सोशल मीडिया
बापो मत कह बखतसी
दलपत बारहठ
Favourite
Share
Share
बापो
मत
कह
बखतसी!
कांपत
है
केकाण।
एकर
बापो
फिर
कह्यो,
(तो)पमंग
तजेला
प्राण॥
स्रोत
पोथी
: मध्यकालीन चारण काव्य
,
सिरजक
: दलपत बारहठ
,
संपादक
: जगमोहन सिंह परिहार
,
प्रकाशक
: मयंक प्रकाशन, जोधपुर
,
संस्करण
: प्रथम
जुड़्योड़ा विसै
निंदा
डिंगल
विसर काव्य
चारण साहित्य