उंमति भंणीजै तीन्य जंण, हंणवंत लछमंण रांम।

तीन्यौ आवै वाहरू, इण्य विध्य पाछी जांव॥

स्रोत
  • पोथी : मेहोजी कृत रामायण ,
  • सिरजक : मेहा गोदारा ,
  • संपादक : हीरालाल माहेश्वरी ,
  • प्रकाशक : सत् साहित्य प्रकाशन, कलकत्ता-700007 ,
  • संस्करण : प्रथम