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उनाळो खोटो घणो
आयुषी राखेचा
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उनाळो
खोटो
घणो,
रत्ती
भर
ना
भाय।
दिन
में
लाय
लगांवतो,
रातै
माछर
खाय॥
स्रोत
पोथी
: कवि रै हाथां चुणियोड़ी
,
सिरजक
: आयुषी राखेचा
,
प्रकाशक
: कवि रै हाथां चुणियोड़ी
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