तारां छायी रातड़ली, सेळी सेळी पून।

मैं निरखै हो चांदड़लो, तूं धार्या ही मून॥

पगल्या पायल बाजणी, माथै, मंगळ टीक।

कंठां सोवै कांठलो, छिब मरूनार सटीक॥

कानां झूमै झूमका, नाक सजावै नत्थ।

कड़ में खणकै करघणी, है हत्थफूल्या, हत्थ॥

रंग बिरंगी कांचली, घाघर घेर घुमेर।

सतरंगी ओढणो, सजणै में के देर॥

रचणी मैंदी राचणी, हाथां राच्या फूल।

सायब लाग्यो निरखबा, गयो अकल नै भूल॥

चावळ रांध्या गौरड़ी, घाल्या चीणी धीव।

मैंदी हाथ परोसियो, जीमण जीम्यो पीव॥

झिलमिल तारां चूंदड़ी, माथै चांदो टीक।

सजगी रात सुवागणी, सूरजी री उड़ीक॥

स्रोत
  • पोथी : कवि रै हाथां चुणियोड़ी ,
  • सिरजक : भंवरलाल महरिया 'भंवरो' ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
जुड़्योड़ा विसै