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सूर विढै अंग पालटै
मेहा गोदारा
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सूर
विढै
अंग
पालटै,
भूरा
दीसै
भूप।
पडनाळे
पांणी
बहै,
राता
रूप
सरूप॥
स्रोत
पोथी
: मेहोजी कृत रामायण
,
सिरजक
: मेहा गोदारा
,
संपादक
: हीरालाल माहेश्वरी
,
प्रकाशक
: सत् साहित्य प्रकाशन, कलकत्ता-700007
,
संस्करण
: प्रथम