लूआं लपटी आग ज्यों, धूळ धोर चहुं और।

सायं सायं बाजै घणी, नी लुकबा नै ठौर॥

माटी मय सोक्यूं हुयो, माथै तपतौ भाण।

इण सूं तो सरदी भली, सोवां खूंटी ताण॥

स्रोत
  • पोथी : खरी खोटी ,
  • सिरजक : गुमानसिंह शेखावत ,
  • प्रकाशक : उदय प्रकाशन, धमोरा, झुंझुनूं
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