श्याम घटा आडी भयी, ढकिया चन्दा नैण।

चन्द्रमुखी मुळकत कहे, निरखण दै मम सैण॥

मरवण तेरो प्रेम धन, रतनां सूं अनमोल।

पलकां पर मैं पाळ सूं, हिये तराजू तोल॥

पाती लिखदी प्रेम स्यूं, मस्सि गुलाबी रंग।

आखर आखर महकसी, प्रीत पुरातन संग॥

गहरी सूंडी गजबणी, गज सूंडी जस पांव।

गौर वरण है गौरड़ी, पदमण उणरो नांव॥

नैण कटोरा नमि बसे, (ज्यूं) कमल झील जल मांय।

नौका में ज्यूं नवलखा, रतन तैरता जाय॥

स्रोत
  • पोथी : चित्त चढ्या चितराम ,
  • सिरजक : सज्जन लाल बैद ,
  • प्रकाशक : कलासन प्रकाशन ,
  • संस्करण : प्रथम संस्करण
जुड़्योड़ा विसै