पिचरंगी है पागड़ी, मूंछ्या पतळी पांत।

ल्या द्‌यो अब कै ठाकरां, चुड़लो हाथी दांत॥

स्रोत
  • पोथी : कवि रै हाथां चुणियोड़ी ,
  • सिरजक : आयुषी राखेचा ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
जुड़्योड़ा विसै