सतगुर कहि समझावियो, सतगुरु कहै साच।

ध्यावै सरस संभरा धणी, वचन अवचल वाच॥

स्रोत
  • पोथी : पोथो ग्रंथ ज्ञान ,
  • सिरजक : कान्होजी बारहठ ,
  • संपादक : कृष्णानंद आचार्य ,
  • प्रकाशक : जांभाणी साहित्य अकादमी, पुरस्कार ,
  • संस्करण : प्रथम
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