सांझ ढळ्यां नित गाँव री, भर ज्याती चौपाळ।

चिलमां धूंआ चालती, बातां आळ पताळ॥

स्रोत
  • पोथी : दरद दिसावर ,
  • सिरजक : भागीरथसिंह भाग्य
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