कह चंदर जाचै कुणां, होयां बुरो हवाल।
आंख तणो कोयो फुरै, दूजां किसो सवाल॥
खोटी बांता खोद, रोटी खावै रोद री।
मन में आणै मोद, चुगली करतां चुगल नर॥
बातां बडी बणाय, काम सारले आपरो।
सिलगतड़ी सुलगाय, हंसता रैवै ओट में॥
मिलै चकाचक चूरमो, साथी आवै सो।
चिणा चाबतां देख बस, छिन छूमन्तर हो॥
आवो साथी उणमणा, रती न राखो ओट।
अळगा रहियां अपूजै, गूम सूम रा गोट॥
साथी सूं चावो मती, बात बात में साथ।
साथी तो बो ही सदा, भीड़ बंटावै हाथ॥
अपणै स्वारथ साथियां, हंसी खुसी में साथ।
ओड़ी में अळगो हुवै, उण नै जोड़ो हाथ॥
रह्णो तेज अंगार ज्यूं, मान कह्यो रै मीत।
सीधै ऊपर दो लदै, आ दुनियां री रीत॥
चाल्यो प्रीत लगाण नै, बो चाल्यो विस बेल।
हो चाल्यो मुंह फूंक सो, खो चाल्यो सो खेल॥
ऊबड़ खाबड़ चोर डर, रळकीजै नित राह।
जळ बळ पंथी राखजे, मुरधर कठण निभाव॥