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साइट: परिचय
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अंजस सोशल मीडिया
रावंण संवौ न राजवी
मेहा गोदारा
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रावंण
संवौ
न
राजवी,
लंका
संवौ
न
थांन।
कही
पराई
जो
सुंणै,
जां
सिर
नांही
कांन॥
स्रोत
पोथी
: मेहोजी कृत रामायण
,
सिरजक
: मेहा गोदारा
,
संपादक
: हीरालाल माहेश्वरी
,
प्रकाशक
: सत् साहित्य प्रकाशन, कलकत्ता-700007
,
संस्करण
: प्रथम