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रण री रंग राताह
भभूतदान
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रण
रा
रंग
राताह,
खाता
शाहा
रै
शरण।
नित
जोड्यो
नात्ताह,
अवसळ
नह
रेसो
अजा॥
स्रोत
पोथी
: मध्यकालीन चारण काव्य
,
सिरजक
: भभूतदान
,
संपादक
: जगमोहन सिंह
,
प्रकाशक
: मयंक प्रकाशन, जोधपुर
,
संस्करण
: प्रथम
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