राम खंणायो रामसर, अगमे नीर अथाह।

सीतां सरि आवै, नहीं, कुल्य चालै काह॥

कवि इंण पद में रामचंद्र जी रै ब्याव रौ बखाण करतां थकां कैवै है कि सीता जी रै बाप धनुर्धर रै पाछै सोने रौ कळस सजाय'र मोतीयां रौ मंडप तियार कियौ , उण मंडप रै मांय सीता - रामचंद्र जी रौ पाणिग्रहण संस्कार लक्ष्मण बराती री उपस्थिति रै मांय संपन्न हुयौ।

स्रोत
  • पोथी : मेहा गोदारा (भारतीय साहित्य के निर्माता) ,
  • सिरजक : मेहा गोदारा ,
  • संपादक : श्याम महर्षि ,
  • प्रकाशक : साहित्य अकादेमी, नयी दिल्ली ,
  • संस्करण : प्रथम