राम खंणावै रांमसर, लछमण बांधै पाल्य।

सिरि सोनै रो बेहड़ौ, सतवंती पण्यहारि॥

कवि मेहा गोदारा आपरी रचनां रै मांय बता रह्या है कि राम कौसल्या रै, लक्ष्मण सुमित्रा रै अर भरत शत्रुघ्न कैकयी रै गर्भ सूं जलम लियौ। इण भांति राजा दसरथ रै घरां च्यार श्रेष्ठ कुंवर जलमियां।

स्रोत
  • पोथी : मेहा गोदारा (भारतीय साहित्य के निर्माता) ,
  • सिरजक : मेहा गोदारा ,
  • संपादक : श्याम महर्षि ,
  • प्रकाशक : साहित्य अकादेमी, नयी दिल्ली ,
  • संस्करण : प्रथम