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रखवाळी कर राज री
समरथदान
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रखवाळी
कर
राज
री,
पाळी
अणहद
प्रीत।
दुरगौ
देसां
काढ़
नै,
अबखी
करी
अजीत॥
स्रोत
पोथी
: मध्यकालीन चारण काव्य
,
सिरजक
: समरथदान
,
संपादक
: जगमोहन सिंह
,
प्रकाशक
: मयंक प्रकाशन, जोधपुर
,
संस्करण
: प्रथम
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