प्रसन्न आप दूजो प्रसन्न, सो ही धर्म सुनि सार।

नारायण दोन्यूं दुखी, तो महा अधर्म भइ मार॥

स्रोत
  • पोथी : राजस्थान का संत-साहित्य ,
  • सिरजक : नारायण दूधाधारी ,
  • संपादक : वसुमती शर्मा ,
  • प्रकाशक : राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान, जोधपुर ,
  • संस्करण : द्वितीय