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साइट: परिचय
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अंजस सोशल मीडिया
पीपा विधवा स्त्री
संत पीपाजी
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पीपा
विधवा
स्त्री,
ज्यों
गरभ
रहे
पछताय।
त्यों
पापी
को
पाप
अन्त,
घणौ
घणौ
कलपाय॥
स्रोत
पोथी
: राजर्षि संत पीपाजी
,
सिरजक
: संत पीपाजी
,
संपादक
: ललित शर्मा
,
प्रकाशक
: राजस्थानी ग्रंथागार, जोधपुर
,
संस्करण
: प्रथम