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साइट: परिचय
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अंजस सोशल मीडिया
पीपा पारस परसताँ
संत पीपाजी
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पीपा
पारस
परसताँ,
लोहा
कंचन
होई।
सिध
के
कांठे
बैसताँ,
साधिक
भी
सिद्ध
होई॥
स्रोत
पोथी
: राजर्षि संत पीपाजी
,
सिरजक
: संत पीपाजी
,
संपादक
: ललित शर्मा
,
प्रकाशक
: राजस्थानी ग्रन्थागार, जोधपुर
,
संस्करण
: प्रथम