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पीपा के पिंजरि बस्यो
संत पीपाजी
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पीपा
के
पिंजरि
बस्यो,
रामानंद
को
रूप।
सबै
अंधेरा
मिटि
गया,
देख्या
रतन
अनूप॥
स्रोत
पोथी
: राजर्षि संत पीपाजी
,
सिरजक
: संत पीपाजी
,
संपादक
: ललित शर्मा
,
प्रकाशक
: राजस्थानी ग्रन्थागार, जोधपुर
,
संस्करण
: प्रथम