पीपा देर कीजिये, भज लीजे हरि नाम।

कुण जाणै क्या होवसी, छूट जायेगें प्रान॥

स्रोत
  • पोथी : राजर्षि संत पीपाजी ,
  • सिरजक : संत पीपाजी ,
  • संपादक : ललित शर्मा ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी ग्रंथागार, जोधपुर ,
  • संस्करण : प्रथम