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साइट: परिचय
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अंजस सोशल मीडिया
रहंट फरै, चरखौ फरै, पण फरवा में फेर
चतुरसिंह ‘महाराज’
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रहंट
फरै,
चरखौ
फरै,
पण
फरवा
में
फेर।
हेक
वाड़
हर्यौ
करै,
हिक
छूंतां
रा
ढेर॥
स्रोत
पोथी
: प्राचीन राजस्थानी काव्य
,
सिरजक
: चतुरसिंह ‘महाराज’
,
संपादक
: मनोहर शर्मा
,
प्रकाशक
: साहित्य अकादेमी
,
संस्करण
: प्रथम संस्करण
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निर्गुण भक्ति काव्य