रहंट फरै, चरखौ फरै, पण फरवा में फेर।

हेक वाड़ हर्‌यौ करै, हिक छूंतां रा ढेर‌॥

स्रोत
  • पोथी : प्राचीन राजस्थानी काव्य ,
  • सिरजक : चतुरसिंह ‘महाराज’ ,
  • संपादक : मनोहर शर्मा ,
  • प्रकाशक : साहित्य अकादेमी ,
  • संस्करण : प्रथम संस्करण
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