तिय दुष्टा अरु मित्र सठ, भृत उत्तर देवाल।

सर्प सहित जा को सदन, बिना काल ही काल॥

स्रोत
  • पोथी : उम्मेद ग्रन्थावली ,
  • सिरजक : उम्मेदराम बारहठ ,
  • संपादक : डॉ. मंजुला बारैठ ,
  • प्रकाशक : कलासन प्रकाशन, बीकानेर (राजस्थान) ,
  • संस्करण : प्रथम
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