जा कै गऊ दूध कूं, नाहि खेती वृति।

जा नर के दुरभिक्ष घरि, मिलै कुभोजन नित्ति॥

स्रोत
  • पोथी : उम्मेद ग्रन्थावली ,
  • सिरजक : उम्मेदराम बारहठ ,
  • संपादक : डॉ. मंजुला बारैठ ,
  • प्रकाशक : कलासन प्रकाशन, बीकानेर (राजस्थान) ,
  • संस्करण : प्रथम
जुड़्योड़ा विसै