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साइट: परिचय
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अंजस सोशल मीडिया
दुख काजे धन राखिये
उम्मेदराम बारहठ
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दुख
काजे
धन
राखिये,
धन
तजि
रखिये
नारि।
धनरू
नारि
तजिये
सबै,
आतम
अर्थ
विचारि॥
स्रोत
पोथी
: उम्मेद ग्रन्थावली
,
सिरजक
: उम्मेदराम बारहठ
,
संपादक
: डॉ. मंजुला बारैठ
,
प्रकाशक
: कलासन प्रकाशन, बीकानेर (राजस्थान)
,
संस्करण
: प्रथम
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